सामाजिक परिवर्तन और विकास में साहित्य की विषिष्ट भूमिका होती है। प्रेमचन्द साहित्य को जीवन की आलोचनाप मानते थे। जीवन की सकारात्मक आलोचना से साहित्य जी...
Speaker: Prof. Ramdev Shukl, Prof. Sadanand Shahi, Dr. Rajesh Kumar Mall
प्रेमचंद ने सेवासदन से हिन्दी उपन्यास की दिशा और दशा बदल दी। सौ वर्ष बाद इस उपन्यास को याद करने का अर्थ हिन्दी उपन्यास के स्वरूप विकास का लेखा जोखा तो...
Speaker: Harish Trivedi, Alexandra Losolaro, Nikola Potza