सेवासदन के सौ वर्ष: स्त्री मुक्ति का भारतीय पाठ
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प्रेमचंद ने सेवासदन से हिन्दी उपन्यास की दिशा और दशा बदल दी। सौ वर्ष बाद इस उपन्यास को याद करने का अर्थ हिन्दी उपन्यास के स्वरूप विकास का लेखा जोखा तो है ही, हिन्दी कथा साहित्य में स्त्री जीवन के कल, आज और कल का आकलन भी है। प्रस्तावित संगोष्ठी चार सत्रों में होगी जिसमें अधोलिखित विंदुओं पर विचार होगा